Thursday, November 6, 2014

बेवफाई जुर्म क्यों नहीं ?

" क्या दिल टूटने से चोट नहीं लगती? क्या किसी की भावनाओं के साथ खेलने की कानून में कोई सजा नहीं है? क्या दिल पर लगी खरोंच शरीर पर आई खरोंच से कम दुःख देती है?" 

उसकी आंसुओं से भीगे प्रश्न लगातार मेरे जेहन पर हथौडे की तरह पड़ रहे हैं! वो आज आई थी मेरे ऑफिस में.....दुखी, परेशान....बात बात पर आंसू छलक उठते थे! भर्राए गले से वो बोलती जा रही थी!मैं चुपचाप सुनती जा रही थी! उसे धोखा मिला था! तीन साल तक साथ जीने मरने की कसमे खाने वाले उसके बॉय फ्रेंड ने अचानक कहीं और सगाई कर ली थी! किसी तीसरे से उसे उसकी सगाई के बारे में पता चला ....और पूछने पर बॉय फ्रेंड का जवाब था- " बी प्रैक्टिकल यार...ये सब तो चलता है!अब मेरे मन में तुम्हारे लिए पहले जैसी फीलिंग नहीं हैं...हम बस अच्छे दोस्त हैं!" इतना कहकर लापरवाही से सर झटक कर वो चल दिया अपने रास्ते!शायद इसके बाद लड़की का फोन उठाने की ज़हमत भी नहीं की उसने!और लड़की उसी दिन से डिप्रेशन में है.....कभी वो पुरानी बातें याद करती है...कभी जानने की कोशिश करती है की आखिर उसके प्यार में कहाँ कमी रह गयी...कभी किसी तांत्रिक के पास जाती है की शायद कोई वशीकरण मन्त्र हो जो उसे प्यार को वापस उसकी और ला सके! पिछले दो महीने में पांच किलो वज़न कम कर चुकी है अपना! रात को नींद की गोली खाए बिना सो नहीं पा रही है!और आंसुओं का तो कोई हिसाब ही नहीं है! ये सब मुझे उसके साथ आई उसकी मां ने बताया!

सलाह देना कितना आसान होता है....मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की! जो जो भी बातें उसे जिंदगी की राह पर आगे बढ़ने के लिए मैं कह सकती थी..मैं कह रही थी! वो हाँ में सर हिलती....फिर कुछ ही पल में उसकी सिसकियों के साथ मेरे सारे उपदेश बह जाते! अचानक हिचकी भरी आवाज़ से उसने मुझसे पूछा " अगर कोई किसी को डंडे से मारे तो क्या अपराध बनेगा?" मैंने हाँ में सर हिलाया! उसका अगला प्रश्न था " डंडे की चोट कितने दिन में ठीक हो जायेगी?" मैंने कहा ...कुछ दिनों में!
उसने अपनी सूजी हुई आँखों से मेरी तरफ देखा और बोली " क्या मेरे दिल पर जो चोट लगी है...उससे ज्यादा चोट डंडे से मारने से लगती है? डंडे का घाव तो कुछ दिन में भर जायेगा...मेरे दिल पर लगे ज़ख्म जो पता नहीं कब भरेंगे...उसका कुछ भी नहीं? " क्या जो मेरे साथ हुआ वो शारीरिक प्रताड़ना से कम कष्टदायी है? फिर किसी का दिल तोड़ना अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं आता?" मैंने उससे कहा ...अगर उस लड़के ने तुम्हारे साथ कोई ज्यादती की है या तुम्हारा शारीरिक शोषण किया है तो ये अपराध है! लड़की बीच में मुझे टोकती हुई बोली...." यानी की अपराध तभी होगा जब शरीर को चोट पहुंचे...वैसे उसने मेरे साथ कोई ज्यादती नहीं की है" इस बार उसकी आवाज़ में शिकायत और तल्खी दोनों ही थे!

थोडी देर सब खामोश रहे....फिर वो उठी और बोली " अब मैं चलती हूँ!" मैंने धीरे से सर हिला दिया! जाते जाते वो पलटी और बोली " शायद मैं धीरे धीरे इस स्थिति से उबर जाऊं पर अब किसी पर विश्वास नहीं कर पाउंगी....और शायद शादी भी न करून! काश आपके कानून में बेवफाई भी जुर्म होती ! " 

मैं फिर अपने कमरे में अकेली बैठी थी.... पर उसका आंसू भरा चेहरा न तो हटता था आँखों के सामने से और न ही उसकी सिसकियों की आवाज़ कानो से अब तक अलग हो पायी है! सोचती हूँ वाकई उसके प्रश्न कितने जायज़ हैं! बेवफाई न तो कोई जुर्म है और न ही उसकी कोई सजा!



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